बेहद ही बेरहम निकला तालिबान, अपनी ही कॉम के व्यक्ति को उतार दिया मौत के घाट


हर दिन दुनिया भर में कई छोटे-बड़े अपराध के मामले सामने आते रहते है, जिसकी वजह से दुनियाभर में मासूम लोगों के लिए परेशानी बढ़ती ही जा रही है। लेकिन इन बढ़ते जुर्म का शिकार हो रहे लोगों के परिवार वालों पर क्या बीतती है इस बारें में कोई भी नहीं जानता है, क्यूंकि कहा जाता है कि जिसके साथ हुआ है उससे पूछों .... कहने को तो हर कोई अपना दुःख व्यक्त करने के लिए पीड़ित के घर या फ़ोन पर कॉल कर लेता है लेकिन किसी भी परिवार पर टूट रहा दुखों का पहाड़ सिर्फ वो ही जान सकते है... ऐसे में आज हम आपके लिए एक ऐसी ही खबर लेकर आए है, जिसके बारें में आप सभी को जानना चाहिए......



पुलित्जर पुरस्कार विजेता भारतीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी के अफगानिस्तान में मारे जाने के कुछ दिनों बाद, अब उनकी फांसी की अफवाह दुनियाभर में सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। हम बता दें कि यूएस-आधारित पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि दानिश सिद्दीकी न केवल अफगानिस्तान में एक गोलीबारी का शिकार हुए, और न ही वह संपार्श्विक क्षति थे, हकीकत तो यह है कि तालिबान को जब दानिश की असलियत का पता चला तो तालिबान ने बेहद ही क्रूरता के साथ उसे मौत के घाट उतार दिया। इतना ही नहीं 38 साल के दानिश सिद्दीकी अफगानिस्तान में न्यूज़ रिपोर्टर का काम कर रहे थे और उनकी मृत्यु के समय भी वह अपने काम पर ही थे। पुरस्कार विजेता पत्रकार कंधार शहर के स्पिन बोल्डक जिले में अफगान सैनिकों और तालिबान के मध्य संघर्ष को कवर करते समय मारा गया था।

जहां इस बात का पता चला है कि दानिश सिद्दीकी ने पाकिस्तान के साथ आकर्षक सीमा पार करने के लिए अफगान बलों और तालिबान के बीच लड़ाई को कवर करने के लिए एक अफगान नेशनल आर्मी टीम के साथ स्पिन बोल्डक क्षेत्र की यात्रा की। इतना ही नहीं जब वे सीमा शुल्क चौकी के एक-तिहाई मील के भीतर पहुंच गए, तो तालिबान के हमले ने टीम को विभाजित कर दिया, कमांडर और कुछ लोग दानिश सिद्दीकी से अलग हो गए, जो तीन अन्य अफगान सैनिकों के साथ रह गए थे। जानकारी के लिए हम बता दें कि हमले के वक़्त दानिश सिद्दीकी को गोली के स्थान पर छर्रे से बार किया गया था, जिसके बाद ही दानिश और उनकी टीम प्राथमिक उपचार के लिए एक स्थानीय मस्जिद में गए। जिसके बाद खबर फ़ैल गई कि एक पत्रकार मस्जिद में है, और तालिबान ने बिना वक़्त गबाएं ही दानिश पर हमला कर दिया। जहां इस बात का पता चला है कि तालिबान ने दानिश को जिन्दा ही पकड़ लिया था, लेकिन फिर भी तालिबान ने उसकी जान नहीं बक्शी, और उसे मौत के घाट उतार दिया। इतना ही नहीं दानिश के साथ होने वाले लोगों को भी मार दिया। यह बात भी सच है कि जिस कमांडर ने उन्हें बचाने का प्रयास किया, लेकिन खुद को नहीं बचा पाए।

इतना ही नहीं जब दानिश की तस्वीर शेयर की गई तो उसकी इस तस्वीर में उसका चेहरा कुछ हद तक ही साफ़ नज़र आया, दानिश की तस्वीर शेयर करने वाले व्यक्ति ने कहा है कि  मैंने अन्य तस्वीरों और दानिश सिद्दीकी के शरीर के एक वीडियो की समीक्षा की, जो मुझे भारत सरकार के एक सूत्र द्वारा प्रदान किया गया था, जिसमें दिखाया गया है कि तालिबान ने सिद्दीकी को सिर के चारों ओर पीटा और फिर उसके शरीर को गोलियों से छलनी कर दिया," लेखक माइकल रुबिन ने लिखा, जो अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट में वरिष्ठ फेलो हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान का शिकार करने, दानिश सिद्दीकी को मारने और फिर उसकी लाश को क्षत-विक्षत करने का निर्णय दिखाता है कि वे युद्ध के नियमों या वैश्विक समुदाय के व्यवहार को नियंत्रित करने वाले सम्मेलनों का सम्मान नहीं करते हैं।

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