नहीं जानते होंगे आप: ब्रम्हा और विष्णु जी के बीच भी हुआ था विवाद, मुद्दा सिर्फ एक कौन है सर्वश्रेष्ठ

काशी विश्वनाथ मंदिर या यूँ कहा जाए भगवान शिव जी से जुड़े हुए 12 ज्योतिर्लिंग में से एक स्थान। इस बारें में सभी जानते होंगे की काशी विश्वनाथ मंदिर का हिन्दू धर्म से बहुत ही गहरा नाता है, और इसे बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी के नाम से भी जाना जाता है. आज हम आपको इस शहर के बारें में कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे है, जिनके बारें में आप शायद ही आप सभी को पता हो, तो चलिए जानते है आखिर क्या है काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास....


ऐसा कहा जाता है की यूपी में बसा ये शहर भगवान शिव  के त्रिशूल पर टीका हुआ है, और ये शहर भारत के सबसे पुराने शहरों में से एक कहा जाता है। कहने को तो देशभर में कई और भी बड़े बड़े मंदिर है जिनका अपने में ही एक अलग राज या इतिहास है, काशी विश्वनाथ मंदिर का महत्त्व के दम ही अलग है, जिसके बारें में हर कोई जानना चाहता है. 

आखिर क्या है काशी विश्वनाथ मंदिर की कहानी:  तो आज हम आपको बताने जा रहे है कि आखिर क्या है विश्वनाथ मंदिर की कहानी, गंगा नदी के पश्चिमी घाट पर बसे इस मंदिर की कई पौराणिक कहानी है, जिसमे कथा के अनुसार कहा गया है कि एक बार जब भगवान विष्णु और भगवान ब्रम्हा में इस बात को लेकर घनिष्ट वादविवाद हो गया, कि दोनों में से कौन सबसे अधिक शक्तिशाली या फिर महत्वपूर्ण है। लेकिन इस बढ़ते विवाद के मध्य भगवान शिव सुलह करवाने उनके पास पहुंचे और वहां जाते ही एक विशाल प्रकाश स्तम्भ या यूँ कहा जाएं की उन्होंने ज्योतिर्लिंग का रूप ले लिया। जिसके उपरांत उन्होंने भगवान ब्रम्हा और विष्णु जी से कहा की वह दोनों इसके स्त्रोत और उचाई का पता लगाएं, शिव जी की इस बात को सुनकर ब्रम्हा जी हंस पर सवार हो गए और इस बात का पता लगाने के लिए निकल पड़े। लेकिन भगवान विष्णु जी एक शुकर का रूप लेकर पृथ्वी की सतह पर खुदाई करने में जुट गए। कहा जाता है कि कई युगों तक दोनों इस बात की खोज करते रहे, लेकिन उनके हाथ कुछ भी नहीं आता है, और  भगवान विष्णु अंत में हार मानकर शिव जी के इस रूप के सामने नतमस्तक हो जाते हैं।

वहीँ यदि बात ब्रम्हा जी कि जाए तो उन्होंने में अपनी हार को स्वीकार नहीं किया और इस बारें में झूठ बोल दिया कि उन्होंने इस स्तम्भ का ऊपरी सिरा देख लिया है। जहां ब्रम्हा जी की इस बात से क्रोधित होकर शिव जी ने उन्हें श्राप दिया था  कि उनकी कभी भी पूजा नहीं की जाएगी, और आज भी यही मान्यता है कि आज भी पुष्कर के अलावा दुनिया में और कही भी उनका मंदिर नहीं है। जिसके बाद से ही इस स्तम्भ की वजह से जिस जिस स्थान पर पृथ्वी के अंदर से शिव जी का दिव्य प्रकाश निकला था वह ही 12 ज्योतिर्लिंग कहे जाते है।  आगे हम बता दें कि काशी विश्वनाथ मंदिर इन्ही ज्योतिर्लिंगों में से एक है, सबसे ज्यादा चौकाने वाली बात तो यह है कि ज्योतिर्लिंगों के स्थान पर बने मंदिर में शिवलिंग चमकदार रूप में मौजूद हैं।

काशी विश्वनाथ मंदिर ज्ञानवापी मस्जिद विवाद: कई हजार वर्षों पुराने काशी विश्वनाथ मंदिर पर वक़्त और राजनीती का प्रभाव भी देखने को मिलता है, आज भी कई लोगों का एक ही सवाल है कि इस मंदिर का निर्माण कब किया गया था, लेकिन आज भी इस बात कि पुष्टि नहीं हो पाई है कि इसकी स्थपना कब की गई थी। हां इस बात में भी कोई शक नहीं है कि इस बात का जिक्र पुराणों में अवश्य मिलेगा। कुछ समय पहले खबरें आई थी कि काशी के इस मंदिर को 1194 में कुतुब-उद-दीन ऐबक द्वारा हानि पहुंचाए जाने के बारें में सबूत मिले है, जब उसने कन्नौज के राजा को हराया। यह भी कहा जाता है कि इल्तुतमीश के काल में  इस मंदिर का निर्माण दुबारा किया गया था और उसके बाद उसे फिर से तोड़ दिया गया था।

वहीं यह भी कहा जाता है कि मुगल शासक अकबर के काल में भी इसे फिर से राजा मान सिंह द्वारा बनवाया गया था। जिसका उल्लेख आज भी इतिहास की पुस्तकों में पाया गया है, जिसके बाद अकबर के शासन काल में ही राजा टोडरमल द्वारा मंदिर के पुनरोद्धार कराए जाने का भी उल्लेख इतिहास में है। जिसके कुछ समय के उपरांत औरंगजेब ने इसे हानि पहुंचाई थीं और मंदिर को तुड़वाकर मस्जिद बनवा दिया था। लेकिन कई तरह की ख़बरों और परेशानी के बाद भी इस मंदिर का निर्माण इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने 1780 में  करवाया था और यहाँ मौजूद मस्जिद इससे आज भी सटा हुआ है। 

काशी विश्वनाथ मंदिर कब खुलता है और दर्शन का समय: हम बता दें कि इस मंदिर के खुलने का समय प्रातः 2:30 बजे का है उस इस मंदिर में पहली आरती सुबह के 3 बजे की जाती है, साथ भी आपकी जानकारी के लिए यह भी बता दें कि विश्वनाथ मंदिर में पूरे दिन में 5 बार आरती की जाती है और इस मंदिर की सबसे आखिरी आरती रात्रि 10 बजे की जाती है।

वैसे तो इस मंदिर के पट भक्तों के लिए प्रातः 4 बजे खोल दिए जाते है, इस मंदिर कि सबसे अच्छी बात तो यह कि भक्त दिनभर में कभी भी मंदिर जाकर दर्शन और पूजन कर सकते है इसके लिए उन्हें कोई भी रोक-टोक नहीं है, और यदि आप मंदिर तक नहीं जा सकते है तो आप ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के द्वारा भी पूजा और दर्शन में हिस्सा ले सकते है, जिसके लिए आप समय सीमा भी फिक्स के सकते है।

काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए ऑनलाइन आवेदन कैसे करें?: अब बात आती है कि मंदिर के दर्शन के लिए किस तरह से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर सकते है तो हम बता दें कि काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए श्रद्धालुओं को shrikashivishwanath.org वेब पेज पर जाना होगा, उसके बाद आप कई विकल्प देख सकते है। जिसमे आरती, रूद्राभिषेक कराने, सुगम दर्शन, पूजा, यात्रा आदि में से कोई भी विकल्प का चयन आप कर सकते है, और विकल्प चुनने के बाद विवरण को भरना होगा। यदि आपको आवेदन करने के लिए कोई भी परेशानी आती है तो आपको इस वेबसाइट पर हेल्प डेस्क नंबर भी दिया है, जिसके द्वारा आप पूरी जानकारी हासिल कर सकते है। 

काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए बनारस कैसे पहुंचे और कहां ठहरे: इस मंदिर के पहली बार दर्शन करने वालों के मन में यही सवाल सबसे पहले आता है कि बनारस जाकर कहा रुके, तो हम बता दें कि बनारस देश के लगभर हर बड़े शहर से फ्लाइट, ट्रेन और बस सेवा से जुड़ा है, तो आप किसी भी माध्यम से यहाँ जा सकते है। इस बात में कोई भी शक नहीं है कि बनारस सबसे बड़ा पर्यटन एवं धार्मिक स्थल है। तो आपके लिए एक बहुत ही अच्छी खबर है कि यहाँ भक्तों के बहुत ही कम दामों में  होटल और लॉज मिल सकते है। कुछ समय पहले अनुमान लगाया गया था कि इस शहर में 3000 से अधिक मंदिर स्थपित है।

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