यदि बचना है कोरोना के संक्रमण से तो इन बातों का रखें विशेष ध्यान ...
वर्ष 2019 के अंत में शुरू हुआ कोरोना महामारी का कहर दिनों दिन बढ़ता ही चला गया, हर दिन इस वायरस ने लाखों लोगों को अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया, पहले संक्रमण की दर और उसे बाद लगातार होती जा रही मौतें, मानवीय जीवन को बुरी तरह से प्रभावित कर चुकी है. इतना ही नहीं कोरोना वायरस के कहर के आगे कई देश और गांव इस कदर प्रभावित हुए कि उस स्थान की आबादी लगभग समाप्ति की कगार पर पहुंच गई. इस महामारी के कारण दुनिया भर में लोगों ने अपने- अपनों को खोया, कोई अनाथ हुआ तो किसी ने अपने बच्चों को खो दिया. और तो और कोरोना के कहर के आगे मरीजों की सेवा करने वाले कई डॉक्टर्स भी इसका शिकार हो गए एवं अपनी जिंदगी से हाथ धो दिया.
कोरोना महामारी में अपनी जान की परवाह किए बिना डॉक्टर, पुलिस एवं ऐसे ही कई फ्रंट लाइन वर्कर्स ने भी दुनियाभर में अपना योगदान दिया. और कई तो इस योगदान की भेंट भी चढ़ गए, साथ ही अपने जीवन में एक चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रहे किशोरों के लिए, यह एक और बड़ी प्रतियोगिता से कम नहीं है, शोधकर्ताओं ने 2020 के पतन के दौरान किशोरों के साथ विस्तारित लॉकडाउन के प्रभावों को समझने के लिए एक सर्वेक्षण किया, जो उनके शिक्षाविदों के आसपास की चिंताओं और सामाजिक गतिशीलता में उनके द्वारा अनुभव किए गए परिवर्तनों के बारे में था। जहां इस बारें में कई शोधकर्ताओं का कहना है कि किशोरावस्था से जुड़ी अधिकांश सामान्य समस्याएं जहां बनी रहने वाली है तो वहीं कुछ लोगों के लिए ये परेशानी और भी ज्यादा बढ़ सकती है, हम बता दें कि सर्वेक्षण में 11 से 17 वर्ष के आयु वर्ग के 452 किशोरों को शामिल किया गया। शोधकर्ताओं ने देखा कि बच्चे, आज भी, इस बात से चिंतित हैं कि शैक्षणिक प्रेरणा के आसपास सबसे आम चिंताओं के साथ, कोविड-19 महामारी उनके स्कूल के काम को कैसे प्रभावित करेगी।
इतना ही नहीं इस महामारी ने जिस तरह से विकराल रूप लिया है, ठीक उसी प्रकार से इसका प्रभाव भी देखने को मिल रहा है , साथ ही साथ कोरोना के कारण लम्बे समय से बंद पड़े सभी स्कूल और कॉलेज के बच्चों की पढ़ाई भी बहुत ही डिसट्रब हुई. क्यूंकि इस बात में कोई भी शक नहीं है कि ऑनलाइन क्लास में बच्चों में अधिक शिक्षा मिल सकती है और जो ऑफलाइन क्लास में बच्चों को ज्ञान मिल सकता है, वो किसी भी माध्यम से नहीं मिल सकता। सोचने वाली बात तो यह है कि आखिर सारे व्यवसाय और कम्पनियां खुलने के बाद भी शिक्षण संस्थान को क्यों नहीं खोला गया, क्या कमाई बच्चो के भविष्य से ज्यादा बढ़कर है. कई लोगों का इस बारे में कहना है कि बच्चे घर पर ही सुरक्षित है, लेकिन उन्हें ज्ञान पूरी तरह से नहीं मिल पा रहा है, बच्चे सारा दिन मोबाइल फ़ोन्स और गेम्स में लगे रहते है, अपनी पढ़ाई की तरफ कोई भी ध्यान नहीं देते है. साथ ही साथ उन्होंने यह भी उल्लेख किया है कि महामारी के शुरुआती दिनों के दौरान, स्कूलों के बंद होने के बाद सप्ताह में एक बार से भी कम समय में चार में से एक किशोर अपने शिक्षकों से जुड़ा था और इससे शिक्षकों और छात्रों के बीच एक संचार अंतर पैदा हुआ जो शैक्षणिक वर्ष में भी बना रहा।
हम बता दें कि लगभग 70 प्रतिशत किशोरों ने खुलासा किया कि उन्होंने कोविड-19 की शुरुआत के बाद से कम बार संवाद किया है और इससे शिक्षकों के शैक्षणिक (61 प्रतिशत) और भावनात्मक (48 प्रतिशत) समर्थन में भी गिरावट आई है। शोधकर्ताओं ने यह भी देखा कि जहां व्यक्तिगत रूप से बदमाशी संभव नहीं थी, वहीं जहरीली आदतों ने साइबरबुलिंग मार्ग को जल्दी से ले लिया। तीन छात्रों में से एक ने बताया कि महामारी की अवधि के दौरान साइबर धमकी में वृद्धि हुई है। यदि हम बात करें अब तक हुई कुल मौत और संक्रमण की तो इस मामले में भारत में सबसे अधिक मौत और संक्रमण के मामले सामने आए है, जहां कोरोना की दूसरी लहर के कारण अब तक भारत में 3 करोड़ लोग संक्रमण का शिकार हो चुके है, वहीं कोरोना ने अब तक 4 लाख से अधिक लोगों को मौत के घाट के उतार दिया है. हलाकि कोरोना से अमेरिका में सबसे अधिक मौतें हुई हैं जहां मरने वालों का आंकड़ा 6 लाख से भी अधिक रहा है।
कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए क्या करें:- आज हम आपको कुछ ऐसे तथ्य बताने जा रहे है जो आपको कोरोना के संक्रमण से बचा सकते है. यदि आप इन छोटी- छोटी बातों का ध्यान रखें....
1 घर में साफ़ सफाई रखें
2 खुद को साफ़ रखें
3 बार- बार चेहरे को हाथ न लगाएं
4 हाथों को सेनेटाइज़ करते रहे
5 सर्दी जुखाम होने पर तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करें
6 भीड़भाड़ वाले इलाके से दूर रहे
7 हो सके तो उबला हुआ पानी ही पीएं
8 दो गज की दूरी बनाए रखें
9 बाहर से घर लौटने के बाद तुरंत खुद को सेनेटाइज़ करें और उसके बाद नहाएं
10 सबसे अहम् बात यदि बुखार आ रहा हो तो मास्क का उपयोग करें एवं परिवार वालों से दूरी बनाए रखें.
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